جكارة...!!!!!!!!!!!
فساااااااااااد، فساد فساد فساد فساد فساد. فساد فساد، فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد ،فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد .
و الفساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد .
فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد .
فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد فساد .
(مو مشان شي، بس لأنو المسؤولين و الحكام العرب-و بخاصة في بلدي الغالي سوريا- بنرفزوا و بينبعصوا و بحسوا بخازوق طلع من أحف راسن لما بينزكر الفساد في وسائل الإعلام المختلفة و بخاصة الصحف و مواقع الانترنت. سبحان الله، يللي فيه مسلة ...بتنغزو )
(تنويه: فكرة الموضوع مأخوذة من فقرة"دقارة" من كتاب "مؤخرة ابن خلدون" للأديب الأردني الساخر يوسف غيشان)
عفوا فيروز أقاطعك.. أجراس العودة لن تقرع
خازوق دق بأسفلنا ..
من شرم الشيخ إلى سعسع
من أين العودة والعودة تحتاج المدفع
و المدفع يلزمه كف و الكف يحتاج لإصبع
و الإصبع ملتذ لاهٍ .. في دبر الشعب له مرتع....
|